Aah ko chahiye kya ik umr asar hone tak & Intro Live HQ Ghalib Jagjit Singh post HiteshGhazal

Details
Title | Aah ko chahiye kya ik umr asar hone tak & Intro Live HQ Ghalib Jagjit Singh post HiteshGhazal |
Author | hiteshghazal |
Duration | 7:48 |
File Format | MP3 / MP4 |
Original URL | https://youtube.com/watch?v=yuP9ZfiRMoE |
Description
Dastaan e ghazal
Live in jagjit Singh
Place - 1993 Nanavati Holl Khaar Mumbai
Aah ko chahiye kya
Mirza Ghalib
HiteshGhazal
9979099750
facebook.com/HiteshGhazal
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक, कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक. - मिर्ज़ा असदुल्ला ख़ा "ग़ालिब"
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक,
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक.
दामे-हर मौज में है हल्का-ए-सदकामे-निहंग,
देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गुहर होने तक.
आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब,
दिल का क्या रंग करुं ख़ूने-जिगर होने तक.
हमने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे, लेकिन,
ख़ाक हो जाएंगे हम, तुमको ख़बर होने तक.
परतवे-ख़ूर से है शबनम को फ़ना की तालीम,
मैं भी हूं एक इनायत की नज़र होने तक.
इक नज़र बेश नहीं फ़र्सते हस्ती ग़ालिब,
गर्मि-ए-बज़्म है इक रक़्से-शरर होने तक.
ग़मे-हस्ती का "असद" किससे हो जुज़ मर्ग, इलाज,
शम्मा हर रंग में जलती है सहर होने तक.
- मिर्ज़ा असदुल्ला ख़ा "ग़ालिब"